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न ते त॑ इन्द्रा॒भ्य१॒॑स्मदृ॒ष्वायु॑क्तासो अब्र॒ह्मता॒ यदस॑न्। तिष्ठा॒ रथ॒मधि॒ तं व॑ज्रह॒स्ता र॒श्मिं दे॑व यमसे॒ स्वश्वः॑ ॥३॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

na te ta indrābhy asmad ṛṣvāyuktāso abrahmatā yad asan | tiṣṭhā ratham adhi taṁ vajrahastā raśmiṁ deva yamase svaśvaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

न। ते। ते॒। इ॒न्द्र॒। अ॒भि। अ॒स्मत्। ऋ॒ष्व॒। अयु॑क्तासः। अ॒ब्र॒ह्मता॑। यत्। अस॑न्। तिष्ठ॑। रथ॑म्। अधि॑। तम्। व॒ज्र॒ऽह॒स्त॒। आ। र॒श्मिम्। दे॒व॒। य॒म॒से॒। सु॒ऽअश्वः॑ ॥३॥

ऋग्वेद » मण्डल:5» सूक्त:33» मन्त्र:3 | अष्टक:4» अध्याय:2» वर्ग:1» मन्त्र:3 | मण्डल:5» अनुवाक:3» मन्त्र:3


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (वज्रहस्त) शस्त्र और अस्त्रों को बाहुओं में धारण करनेवाले (ऋष्व) महापुरुष (देव) दानशील (इन्द्र) राजन् ! जो (ते) आपकी (अब्रह्मता) निर्धनता (अयुक्तासः) और योग से रहित पुरुष (न) नहीं (अभि) सम्मुख (असन्) होते हैं (यत्) जब (ते) वे (अस्मत्) हम लोगों से दूर वसते हैं तब (स्वश्वः) उत्तम घोड़ों से युक्त आप (रश्मिम्) किरण के सदृश (तम्) उस (रथम्) सुन्दर वाहन को (आ, यमसे) विस्तृत करते हो, इससे इसके (अधि) ऊपर (तिष्ठा) स्थित हूजिये ॥३॥
भावार्थभाषाः - हे ऐश्वर्य्य से युक्त ! जो अयोग्य व्यवहारवाले होवें वे हम लोगों के और आपके दूर वसें और आप वाहनों के चलाने की विद्या को विशेष करके जानें तो युद्ध में भी सामर्थ्य को प्राप्त होवें ॥३॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

हे वज्रहस्त ऋष्व देवेन्द्र ! ये तेऽब्रह्मताऽयुक्तासो नाभ्यसन्। यद्यदा तेऽस्मद्दूरे निवसन्ति तदा स्वश्वस्त्वं रश्मिमिव तं रथमा यमसे तस्मादेतमधि तिष्ठा ॥३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (न) निषेधे (ते) (ते) तव (इन्द्र) राजन् (अभि) आभिमुख्ये (अस्मत्) (ऋष्व) महापुरुष (अयुक्तासः) योगरहिताः (अब्रह्मता) अधनता (यत्) यदा (असन्) भवन्ति (तिष्ठा) अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (रथम्) रमणीयं यानम् (अधि) उपरि (तम्) (वज्रहस्त) शस्त्रास्त्रबाहो (आ) (रश्मिम्) किरणम् (देव) दातः (यमसे) निगृह्णासि (स्वश्वः) शोभना अश्वा अस्य ॥३॥
भावार्थभाषाः - हे ऐश्वर्य्ययुक्त ! येऽयुक्तव्यवहाराः स्युस्तेऽस्मत्त्वच्च दूरे वसन्तु, यदि त्वं यानचालनविद्यां विजानीयास्तर्हि युद्धेऽपि सामर्थ्यं प्राप्नुयाः ॥३॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे ऐश्वर्ययुक्ता! जे अयोग्य व्यवहार करणारे असतील त्यांनी तुमच्या आमच्यांपासून दूर राहावे. जर तुम्ही वाहने चालविण्याची विद्या विशेष करून जाणली तर युद्धातही सामर्थ्य प्राप्त व्हावे. ॥ ३ ॥